हम एक आधुनिक युग में जी रहे हैं। आज की दुनिया वैश्वीकरण और विज्ञान की दुनिया है। कोई भी चीज़, कहीं भी और कभी भी आसानी से पहुँचाई जा सकती है। कोई भी सूचना या ख़बर बडी ही सरलता से दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक दूरभाष, ई-मेल या इन्टरनेट द्वारा भेजी जा सकती है। और इसका नतीजा यह है कि पहले काभी न देखे जाने वाले पैमाने पर, विश्वभर की संस्कृतियाँ और परंपराएँ आपस मे घुल-मिल रही हैं। इसी कारण, अपने आप मे एक नई तहज़ीब का उद्भाव हुआ है जो पॉप कल्चर' के नाम से प्रचलित है। इसके जड़ अम्रीका मे हैं और इसलिए पश्चिमी समाज का इसपर गहरा असर रहा है। पश्चिम मे यह बहुत मशहूर हो चुका है और आब धीरे धीरे यह एषिआई देशों में भी अपना प्रभाव डाल रहा है। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश तो इसे कई रूपों में अपना भी चुके हैं।
भारत भी काफ़ी पीछे नही है। आज की युवापीढ़ी में इसका ज़बरदस्त असर देखने को मिलता है, खासकर मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में। लोग पागलों की तरह विदेशी माल के पीछे पड़े हुए हैं और पॉप प्रथाएँ उनके लिए अदर्श बन गए हैं। इसके असर युवाओं द्वारा बोले जाने वाली भाषा मे भी देखे जा सकता है। "इंटरनेट बोलि" युवाओं के दिन-प्रतिदिन के बातचीत का अहम हिस्सा बन चुकी है।
ओर उसी समय यह भारतीय संस्कृति के दुर्गति का कारण भी बना है। नई पीढ़ी हमारी सभ्यता ओर उसके महान इतिहास को भूल रही है। धर्म ओर अनुष्ठान को रूढ़िवादि ओर पुराना माना जाता है। क्या यह सही है कि नवीनिकरण के नाम पर हम अपने ही संस्कृति का सम्मान न करें?
परंतु एक अलग ही नज़रिए से देखने पार ऐसा जान पड़ता कि हिंदुस्तान एक ऐसा देश रहा है जो असंख्य विदेशी राजाओं द्वारा आक्रमण सह चुका है, जो अलग अलग जगाहों से अए थे, अलग अलग धर्मों का पालन करते थे, और जो अपने साथ अपनी विद्या ओर जीवनशैली लाए। लेकिन समाज को पूरि तरह से परिवर्तित करने के बजाय, वे उसीमे अवशोषित कर लिए गए ओर भारतीय समाज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गए जिस कारण हमारे देश की संस्कृति आज इतनी विविध है। तो क्या वैश्विकरण भी इसी अनंतर चलने वाली प्रक्रिया का भाग है? यदि हाँ, तो पूर्व होने वाले बदलावों के विपरीत ये परिवर्तन इतने तेज़ी से क्यों हो रहे हैं? क्या इस प्राचीन भारतीय सोच का भविष्य, आने वाली पीढ़ी में सुरक्षित है? ऐसे ही कुछ सवाल हमारे समाज मे मौजूद हैं जिनपर हमें गंभीरता से सोचना चाहिए और जिनका निश्चित रूप से चिंता करने की ज़रूरत है।
Monday, May 24, 2010
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